महा रविवार व्रत सूर्य से सम्बंधित है। ज्योतिष मे सूर्य को प्राण,आत्मा, मान सम्मान, कीर्ति, आयुष्य आरोग्यता का कारक माना गया है।
आदिम युग से मानव उन सभी प्राकृतिक शक्तियों की उपासना पूजा करता चला आ रहा है जिसे उसने अपने लिए कल्याणकारी माना या जिनसे उसे जीवन का भय अनुभव हुआ। पृथ्वी के लिये सूर्य ही जीवन है, प्रत्यक्ष ईश्वर है क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही जीव जन्तु तथा वनस्पतियां पोषण प्राप्त करती है। सम्भवतः इसी को ध्यान मे रखकर सूर्य उपासना का विकास हुआ।
सूर्य हमारी आकाश गंगा का केन्द्र बिन्दु है नौ ग्रहो मे प्रधान है। सूर्य के बल से ही सभी ग्रह नक्षत्र अपने निश्चित परिपथ पर भ्रमण कर रहे है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ही प्राण,चीन मे ची,जापान मे की तथा अरबी मे रुह कहते है। यह प्राण शक्ति हमे निशुल्क प्रकृति से प्राप्त होती है जबकि अन्य ऊर्जाओ के लिये हमें आहार पर आश्रित रहना पड़ता है।अतः हमे उसका ऋणी होना चाहिए उसका सम्मान करना चाहिए।
सूर्य व्रत विधान:- बहुत ही सरल है इस दिन सूर्योदय के समय स्नान कर सूर्य को अध्र्य प्रदान करे,यदि घर मे मूर्ति हो तो पंचोपचार से पूजन करे और सूर्यास्त तक उपवास करे। उसके बाद मिर्च मसाला नमक रहित भोजन करे,विशेष तौर पर कोई भी नमक का प्रयोग ना कर केवल मीठा भोजन करे तो उत्तम है।